नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली के दिल्ली दौरे के एक महीने बाद नरेंद्र मोदी शुक्रवार को नेपाल पहुंचे. ऐसा पहली बार हो रहा है कि भारतीय प्रधानमंत्री ने दक्षिण एशियाई देश की लगातार तीसरी बार यात्रा की. सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री की यात्रा उस चर्चा को आगे ले जाने के लिए हुई है जो ओली के दिल्ली आने पर हुई थी. संभावना है कि मोदी और ओली संयुक्त रूप से अरुण III हाईड्रो प्रोजेक्ट का उद्घाटन करेंगे.

काठमांडू-रक्सौल रेलवे रूट पर भी कोई समझौता हो सकता है. ओली के भारत दौरे के दौरान विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा था, "रेलवे नेटवर्क और जलमार्गों के माध्यम से कनेक्टिविटी बढ़ाने के अलावा रक्षा और सुरक्षा, कृषि, व्यापार जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने की मंशा है,  जिसकी चर्चा मोदी के इस दौरे में हो सकती है." हालांकि कुछ और समझौतों पर दस्तखत होने की उम्मीद है जो राम की कहानियां, हिन्दुत्व सरीखे मुद्दों पर आधारित है.

दौरे की शुरुआत में मोदी जनकपुर पहुंचे, जिसे 18वीं शताब्दी का तीर्थस्थल माना जाता है. ओली ने मोदी को जनकपुरी मंदिर में रिसीव किया. यह नेपाल के बड़े मंदिरों में से एक है. माना जाता है कि यहां सीता-राम का विवाह हुआ था.

माना जाता है कि राजा जनक का महल यहां था और रामायण के अनुसार उनकी बेटी सीता यहीं बड़ी हुई थीं. ऐसा माना जाता है कि राम का धनुष यहां पाया गया, इस प्रकार जनकपुर की स्थिति को दुनिया भर में हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है.

संभावना है कि जनकपुर से अयोध्या तक की बस सेवा शुरु कराए जाने का ऐलान भी हो सकता है. मोदी ने नेपाल में मुक्तिनाथ मंदिर की यात्रा करने की भी योजना बनाई है, यह स्थान हिंदू और बौद्ध दोनों द्वारा पवित्र माना जाता है. जनकपुर एक मधेसी वर्चस्व वाला क्षेत्र है. साल 2015 में जब नेपाल का संविधान तैयार हो रहा था, उस वक्त तराई में रहने वाले मधेसियों को आरक्षण देने के लिए मोदी सरकार ने ओली सरकार को सुझाव दिया था,  हालांकि नेपाल ने इस सलाह को नजरअंदाज कर दिया था.

मधेसियों ने विरोध प्रदर्शन किए और साथ ही भारत से नेपाल में सीमा में लोगों की आवाजाही घट गईं. इस संकट को साल 2015 के अप्रैल में आए भूकंप ने और ज्यादा गहरा कर दिया था. ओली ने तब भारत पर व्यापार पर प्रतिबंधों के साथ नाकाबंदी लगाने का आरोप लगाया था, जिसमें ईंधन और उसके उत्पादों के व्यापार पर भी शामिल थे. बदले में, भारत में विदेश मामलों के मंत्रालय ने कहा था कि ''माल ढुलाई कंपनियों और ट्रांसपोर्टरों ने चिंता जताई है.''

ओली के साथ मोदी की बैठक चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अनौपचारिक बैठक के कुछ दिन बाद हो रही है है. ओली को चीन समर्थक माना जाता है और भारत ने नेपाल-चीन संबंधों पर घनिष्ठ नजर रखी है. नेपाल, चीनी प्रीमियर शी जिनपिंग के महत्वाकांक्षी बेल्ट और रोड इनिशिएटिव (BRI) का हिस्सा है.


इससे पहले नेपाल को चीन से निवेश और सहायता में अरबों डॉलर मिले  हैं, जिसमें पुलिस अकादमी के विकास के लिए करीब 350 मिलियन डॉलर का निवेश शामिल है. चीन, नेपाल के पोखरा क्षेत्र में भी भारी निवेश कर रहा है, जो अन्नपूर्णा सर्किट का प्रवेश द्वार है. बुनियादी ढांचे के अलावा, नेपाल देश में चीनी पर्यटकों भी ज्यादा आ रहे हैं.
बता दें कि जब ओली भारत आए थे तो उन्होंने कहा था कि नेपाल, भारत और चीन सरीके दो बड़े पड़ोसियों के बीच में रहता है. नेपाल, दोनों देशों से अनूकुल और मित्रतापूर्ण रिश्ते चाहता है.
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