कर्नाटक चुनाव प्रचार खत्म हो गया है. इस चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और जेडीएस सुप्रीमो एचडी देवगौड़ा ने जमकर भाग लिया.

कैंपेन में कई स्थानीय और राष्ट्रीय मुद्दे उठाए गए. जहां अपने पांच साल के कार्यकाल का बचाव करते हुए कांग्रेस पार्टी ने मोदी के नेतृत्व में हो रहे बीजेपी के कैंपेन को अनैतिक, घटिया, फूट डालने वाला और साप्रदायिक बताया. वहीं भाजपा ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए उनके कैंपेन को दिशाहीन और फूट डालने वाला बताया. वहीं इस कैंपेन में तीसरे खिलाड़ी जेडीएस ने भी सिद्धारमैया के खिलाफ अपनी पूरी ताकत झोंक दी. सिद्धारमैया ने आरोप लगाया था कि जेडीएस ने बीजेपी के साथ गुपचुप समझौता किया है.

सिद्धारमैया ने इस बात को खुद स्वीकारा है कि 1985 से कोई भी मौजूदा मुख्यमंत्री दोबारा नहीं चुना गया है. उन्होंने एक ट्वीट में कहा, '' कर्नाटक के लोग 12 मई को इसका जवाब देंगे और वे ये बखूबी करेंगे. मुझे अक्सर बताया जाता है कि इतिहास हमारे खिलाफ है क्योंकि लंबे समय से कर्नाटक में कोई भी मौजूदा सरकार फिर से नहीं चुनी गई है. लेकिन हम यहां इतिहास रचने के लिए हैं इसे मानने के लिए नहीं."


जहां सिद्धारमैया ने कांग्रेस के कैंपेन का नेतृत्व किया वहीं ऐसा पहली बार हुआ कि भाजपा का कैंपेन पीएम मोदी ने संभाला बल्कि उसके मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार ने नहीं. हालांकि राहुल ने कर्नाटक में करीब 100 दिनों तक प्रचार किया और करीब 100 छोटी बड़ी रैलियां की लेकिन इस कैंपेन का मुख्य चेहरा हमेशा सिद्धारमैया ही रहे.

कर्नाटक के सभी 30 जिलों का दौरा कर राहुल ने इतिहास कायम कर दिया है और इससे उनकी छवि भी सुधरी है. उन्होंने करीब 30 मंदिरों और मठों का भी दौरा किया जिसमें सिद्धारमैया ने भी उनका साथ दिया और दावा किया कि वे बीजेपी के लोगों से अच्छे हिंदू हैं.


येदियुरप्पा के नेतृत्व में चल रहे कैंपेन में धार तब आया जब पीएम मोदी इसमें शामिल हुए. मोदी ने 10 दिनों में करीब 21 रैलियों को संबोधित किया और लोगों से बात करने के लिए अपने नमो एप का भी प्रयोग किया. इस कैंपेन में उन्होंने भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाया. इसके अलावा उन्होंने कांग्रेस के ऊपर परिवार की राजनीति करने के मुद्दे को भी उठाने की कोशिश की. इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ भी स्टार प्रचारक रहे. अपने कैंपेनिंग के दौरान उन्होंने जमकर राम जन्मभूमि, हिन्दूवाद का मुद्दा उठाया.
वहीं इस कैंपेन में राष्ट्रीय नेताओं के पीछे रहे बीजेपी के सीएम उम्मीदवार येदियुरप्पा चुनाव जीतने की उम्मीद में हैं. उन्होंने न्यूज18 से कहा कि वे इस महीने की 17 तारीख को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. हालांकि उनके इस बयान को दिन में सपने देखने वाला बताकर सिद्धारमैया ने खारिज कर दिया.
कर्नाटक चुनाव में कन्नड़ भाषा की प्राथमिकता, राज्य के लिए अलग झंडा, हिंदी भाषा को लागू किया जाना, लिंगायत समुदाय के लिए अलग धर्म जैसे मुद्दों को पहली बार उठाया गया. हालांकि ये मुद्दे कर्नाटक में कांग्रेस के लिए वोट बनते हैं या नहीं ये 12 मई को पता चलेगा. दूसरी ओर बीजेपी ऐसा मान रही है कि मोदी उनकी जीत सुनिश्चित करेंगे. वहीं जेडीएस खुद को किंगमेकर के रूप में देख रही है.

कर्नाटक में जीत को लेकर प्री-पोल सर्वे भी अलग-अलग परिणाम बता रहे हैं. कुछ ने कांग्रेस के बहुमत की बात कही है, कुछ ने त्रिशंकु विधानसभा की बात कही है तो वहीं अन्य ने भाजपा के सरकार बनाने की बात कही है.

राजनीतिक विशेषज्ञ डॉ. संदीप शास्त्री का मानना है कि कांग्रेस अभी भी सबसे आगे है और चुनाव में बहुमत हासिल करेगी या फिर सबसे पड़ी पार्टी बनकर उभरेगी.




बता दें की कर्नाटक के 224 सीटों में से 223 सीटों पर शनिवार को चुनाव होगा. जयानगर विधानभा सीट का चुनाव भाजपा उम्मीदवार और मौजूदा विधायक बीएन विजयकुमार की मृत्यु होने के कारण रद्द कर दिया गया है.
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