सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शादी टूटने के बाद भी कोई महिला अपने पूर्व पति की ज्यादती के खिलाफ घरेलू हिंसा कानून के तहत शिकायत दर्ज करा सकती है. शीर्ष न्यायालय ने राजस्थान हाईकोर्ट के एक आदेश में दखल देने से इनकार करते हुए यह बात कही.
गौरतलब है कि राजस्थान हाईकोर्ट ने वैवाहिक संबंध के एक विवाद में फैसला सुनाते हुए आदेश जारी किया था कि अगर घरेलू संबंध नहीं रह गए हैं तो भी यह किसी भी तरह से एक अदालत को पीड़िता को राहत देने से नहीं रोकता है.
जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस नवीन सिन्हा की सदस्यता वाली एक पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ की गई अपील खारिज को करते हुए कहा सुप्रीम कोर्ट इस आदेश में हस्तक्षेप करने की इच्छुक नहीं है.
सुनवाई के दौरान महिला के पति की ओर से पेश हुए वकील दुष्यंत पाराशर ने कहा कि घरेलू हिंसा कानून को पहले से लागू नहीं किया जा सकता. बता दें कि महिला व उसके पति अब एक-दूसरे से अलग हो चुके हैं.
हालांकि, पीठ पाराशर की दलील से सहमत नहीं हुई और हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया.
गौरतलब है कि राजस्थान हाईकोर्ट ने वैवाहिक संबंध के एक विवाद में फैसला सुनाते हुए आदेश जारी किया था कि अगर घरेलू संबंध नहीं रह गए हैं तो भी यह किसी भी तरह से एक अदालत को पीड़िता को राहत देने से नहीं रोकता है.
जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस नवीन सिन्हा की सदस्यता वाली एक पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ की गई अपील खारिज को करते हुए कहा सुप्रीम कोर्ट इस आदेश में हस्तक्षेप करने की इच्छुक नहीं है.
सुनवाई के दौरान महिला के पति की ओर से पेश हुए वकील दुष्यंत पाराशर ने कहा कि घरेलू हिंसा कानून को पहले से लागू नहीं किया जा सकता. बता दें कि महिला व उसके पति अब एक-दूसरे से अलग हो चुके हैं.
हालांकि, पीठ पाराशर की दलील से सहमत नहीं हुई और हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया.
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