नई दिल्ली I सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाने के साथ ही कांग्रेस और आक्रामक हो गई है. कांग्रेस नेता और सुप्रीम कोर्ट में अरसे से प्रैक्टिस कर रहे कपिल सिब्बल ने ऐलान कर दिया है कि अगर जस्टिस दीपक मिश्रा रिटायरमेंट तक पद पर बने रहते हैं तो वे उनकी कोर्ट में पेश नहीं होंगे.
पेशेगत मूल्यों के अनुरूप बताया फैसला
कपिल सिब्बल ने कहा है कि वे सोमवार से सीजेआई दीपक मिश्रा की कोर्ट में नहीं जाएंगे. इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि अब जब तक चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रिटायर नहीं हो जाते, वे तब तक उनकी कोर्ट में नहीं उपस्थित होंगे. सिब्बल ने अपने फैसले को पेशेगत मूल्यों के अनुरूप बताया है.
मानकों के खिलाफ होगा पद पर बने रहना
सिब्बल ने कहा कि मेरे साथ 63 अन्य लोगों ने भी जस्टिस दीपक मिश्रा को हटाने की मांग की है. अब मैं सोमवार से सीजेआई की अदालत में नहीं जाऊंगा. गौरतलब है कि सिब्बल काफी अरसे से सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं. सिब्बल ने कहा कि अगर सीजेआई दीपक मिश्रा रिटायरमेंट तक सुनवाई करेंगे तो यह मानकों के खिलाफ होगा.
कांग्रेस में दोफाड़ पर दी सफाई
जब सिब्बल से पूछा गया कि राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू को भेजे गए महाभियोग के प्रस्ताव पर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम समेत कई बड़े कांग्रेस नेताओं ने हस्ताक्षर क्यों नहीं किया? इस पर सिब्बल ने कहा कि कांग्रेस ने ही चिदंबरम से हस्ताक्षर करने के लिए नहीं कहा, क्योंकि उन पर कई मामले लंबित हैं और मैं उनका वकील हूं. सीजेआई की अदालत में अब न जाने का मेरा फैसला उनके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. सिब्बल इस समय पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम के केस के साथ-साथ अयोध्या समेत कई अहम मामलों में पैरवी कर रहे हैं.
सबकी नजरें अब वेंकैया पर
इधर महाभियोग के प्रस्ताव पर अब सभी की नजरें उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू पर टिक गईं हैं. उन्होंने अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल सहित संविधानविदों और कानूनी विशेषज्ञों के साथ प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया. राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों के अनुसार नायडू ने याचिका को स्वीकारने अथवा ठुकराने को लेकर संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप, पूर्व विधि सचिव पी.के. मल्होत्रा सहित अन्य विशेषज्ञों से कानूनी राय ली. ऐसा माना जा रहा है कि नायडू जल्द ही विपक्षी दलों के इस नोटिस पर कोई फैसला करेंगे.
बनानी होगी 3 सदस्यों की समिति
बता दें कि शुक्रवार को कांग्रेस सहित 7 विपक्षी दलों ने राज्यसभा के सभापति नायडू को चीफ जस्टिस मिश्रा के खिलाफ कदाचार का आरोप लगाते हुए उन्हें पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए नोटिस दिया था. नायडू अगर इस नोटिस को स्वीकार करते हैं तो प्रक्रिया के नियमों के अनुसार विपक्ष की ओर से लगाए गए आरोपों की जांच के लिए उन्हें न्यायविदों की 3 सदस्यों की एक समिति का गठन करना होगा.
संसदीय नियमों का उल्लंघन
राज्यसभा के सभापति को नोटिस सौंपने के बाद विपक्षी दलों ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया था. नोटिस की समीक्षा करते हुए राज्यसभा के अधिकारियों ने जिक्र किया कि सभापति की ओर से नोटिस को स्वीकार करने से पहले इसे सार्वजनिक करना संसदीय नियमों का उल्लंघन है.
महाभियोग पर कांग्रेस-बीजेपी में आरोप-प्रत्यारोप
सीजेआई के खिलाफ प्रस्ताव लाने के कारण कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं. केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सीजेआई दीपक मिश्रा पर महाभियोग चलाने की मांग को लेकर राज्यसभा के सभापति के समक्ष नोटिस लाने को महामूर्खता बताया. उन्होंने कहा कि ऐसा प्रस्ताव लाना कांग्रेस की महामूर्खता है, जैसा कि कहते हैं, ‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’, उसी तरह यह कांग्रेस पार्टी की ‘विनाश काले पप्पू बुद्धि’ है.
न्यायपालिका के सर्वोच्च पद के अपमान का आरोप
कांग्रेस ने कथित कदाचार के आरोपों से मुक्त होने तक प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के न्यायिक और प्रशासनिक कामकाज से खुद को अलग कर लेने की मांग की है. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि बीजेपी प्रधान न्यायाधीश का बचाव कर न्यायपालिका के सर्वोच्च पद का अपमान कर रही है और इस मामले का राजनीतिकरण कर रही है.
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