डीपीसीसी ने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए मूर्ति कलाकारों से मूर्ति पर ऐसे किसी भी प्रकार का रंग या सामग्री इस्तेमाल करने से मना किया है, जिससे पानी को नुकसान पहुंचे और लोगों के स्वास्थ्य पर भी खराब असर पड़े। मूर्ति को प्राकृतिक मिट्टी से तैयार करने के लिए कहा गया है। साथ ही डीपीसीसी ने संबंधित एजेंसियों को प्रत्येक शुक्रवार को रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया है।
आदेश में कहा गया है कि दुर्गा पूजा पर नदी, झील, तालाब, कुएं आदि में मूर्ति विसर्जन की परंपरा है और इससे होने वाला प्रदूषण चिंता का विषय है। डीपीसीसी ने कहा है कि मूर्ति विसर्जन से जल स्रोतों को होने वाले नुकसान का आकलन किया गया है। डीपीसीसी ने मूर्ति बनाने के लिए पीओपी और पकी हुई मिट्टी के प्रयोग पर रोक लगा दी है।
वहीं ये भी कहा है कि विसर्जन से पहले मूर्तियों से फूल और कागज निर्मित अन्य सजावटी वस्तुओं को हटाने और उन्हें घरों से इकट्ठा कर उनका पर्यावरण अनुरूप तरीके से निपटारा किया जाए।
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