पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद ने जम्मू कश्मीर में रमजान के दौरान लागू सीजफायर को भारत सरकार की मजबूरी बताते हुए फैसले का मजाक उड़ाया है. जैश के सरगना मौलाना मसूद अजहर ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारत सरकार को मजबूरी में सीजफायर लागू करना पड़ा है.
मसूद अजहर को एक ऑडिया क्लिप में यह कहते सुना जा सकता है कि अब कश्मीर में जैश आतंकियों की घुसपैठ के लिए अच्छा मौका है. जैश भारत में इससे पहले कई आतंकी वारदातों को अंजाम दे चुका है और अब भारत में हमलों को और तेज करने की धमकी दी है.
क्या बोला आतंकी अजहर
'कश्मीर में फायरबंदी की खबरें आ रही हैं. आप परेशान तो नहीं हुए. दोस्तों ने फायरबंद नहीं की, जैश के लिए जगह छोड़ी है. जिस जगह फायर हो रहा था पहले से ज्यादा होगा. और ऐसा फायर होगा, पहले वाले फायर की आवाज जल्दी बंद हो जाया करती थी, इसकी आवाज उसी तरह से गूंजेगी जिस तरह से जैश की आदत है. उसकी एक कार्रवाई पर दुश्मन 8-8 दिन, 40-40 दिन मातम किया करते हैं'
खुफिया सूत्रों के मुताबिक मसूद अजहर फिलहाल पाकिस्तान के बहावलपुर में आतंकियों का ट्रेनिंग कैंप चला रहा है. एक मई से शुरू हुए इस कैंप में नए आतंकियों की भर्ती की जा रही है. ऑडियो क्लिप में अजहर कह रहा है कि अब भारत में हमलों को और तेज किया जाएगा.
अजहर ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि कश्मीर में सीजफायर लागू नहीं हुआ है बल्कि वहां जैश के लिए जगह छोड़ी गई है. उसने कहा कि अब जैश की कार्रवाई से दुश्मन मातम मनाएंगे. जम्मू-कश्मीर में बीते दो दिनों से हुईं आतंकी वारदातों की जिम्मेदारी भी जैश ने ली है.
अपने संबोधन में जैश सरगना अजहर ने दूसरे आतंकी संगठन हिज्बुल के नेतृत्व का भी मखौल उड़ाया. उसने कहा कि अगर हिज्बुल के नेता अपने लड़ाकों का बलिदान भूल चुके हैं तो जैश उन्हें जरूर इसकी याद दिलाएगा. अजहर ने भारतीय जेलों में बंद हिज्बुल आतंकियों की आजादी का अलाप भी गाया.
'आजतक' फिलहाल इस ऑडियो की पुष्टि नहीं कर रहा है. खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हिज्बुल सरगना सैयद सलाउद्दीन सुरक्षाबलों के ऑपरेशन से बौखलाया हुआ है जबकि जैश सरगना ऐसे बयान देकर हिज्बुल आंतकियों को भड़काने का काम कर रहा है.
आमतौर पर हिज्बुल के ज्यादातर आतंकी जम्मू कश्मीर और PoK से आते हैं जबकि जैश पाकिस्तानी आतंकियों को भर्ती करता है. भारत सरकार की ओर से पिछले दिनों रमजान और अमरनाथ यात्रा को देखते हुए घाटी में ऑपरेशन ऑलआउट रोकने का फैसला किया गया था. इस फैसला पर राजनीतिक घमासना भी हो रहा है क्योंकि सरकार के फैसले के बावजूद भी घाटी में अशांति कायम है.
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