कर्नाटक चुनाव प्रचार के बीच राज्य के मौजूदा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में जुबानी जंग जारी है. 'पॉलिटिकल कम्युनिकेशन में कनेक्टिव एक्शन के असर' पर राजनीतिक वैज्ञानिक लेंस बेनेट और एलेक्जेंडर सर्जरबर्ग ने मिलकर एक स्टडी की है. इससे यह पता चलता है कि किसी खास परिस्थिति में राजनीतिक प्रतिक्रिया का कितना और कैसा प्रभाव पड़ता है. कर्नाटक चुनाव में अपने प्रचार अभियान के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जुबानी हमले और उसपर सिद्धारमैया का तुरंत रिएक्शन इसी का एक उदाहरण है. चुनावी अभियान के शुरुआती चरणों में बीजेपी ने कुछ हद तक कर्नाटक चुनाव को मोदी बनाम सिद्धारमैया बना दिया है.

हाइब्रिड मीडिया के माहौल को समझने वाले राजनेता यह भी अच्छे से जानते हैं किसी मुद्दे पर कब तुरंत प्रतिक्रिया देनी है या कब देर तक चुप्पी साध रखनी है? कब अपने उद्देश्यों को पाने के लिए चर्चित मुद्दों पर खास ध्यान देना है? अपने बयानों को कब दोहराना है? कब अकेले काम करना है और किस वक्त सबको साथ एक साथ लाना है?


कर्नाटक रण का आगाज़ करते हुए प्रधानमंत्री मोदी जिस अंदाज से विरोधियों पर हमले कर रहे थे, वो पॉलिटिकल कम्यूनिकेशन का एक नया रूप है. भारत जैसे देश में जहां इंटरनेट एक्सेस अभी भी सीमित है, वहां खबरें और सूचनाओं का माध्यम हाइब्रिड मीडिया ही है. इसका मतलब यह है कि ये कम्यूनिकेशन का यह नया जरिया जन संचार (मास कम्युनिकेशन) के तय मानकों को दरकिनार कर रहा है. यह पूरी तरह से कम्युनिकेशन के पारंपरिक मॉडल पर काम करता है, जिसमें अंतिम रूप से ब्रॉडकास्टर का ज्यादा प्रभाव होता है.

कर्नाटक में मंगलवार को पीएम मोदी ने चामराजनगर, उडुपी और बेलगावी में तीन रैलियां कीं. तीनों रैलियों की अपनी-अपनी विशेषताएं थीं. रैली में पहली बार मोदी ने कन्नड़ ट्रांसलेटर की मदद ली. ताकि, अपनी बात राज्य के लोगों तक आसानी से पहुंचा सके. ऐसे करके मोदी राज्य में सिद्धारमैया के प्रभाव को कम भी करना चाहते थे. मूल रूप से कर्नाटक में बीजेपी बिहारी vs बिहारी की नीति बचने की कोशिश कर रही है. क्योंकि, 2015 के बिहार चुनाव के दौरान इससे बीजेपी को नुकसान ही हुआ था.

प्रधानमंत्री के भाषणों का दूसरा उल्लेखनीय पहलू कांग्रेस पर राजवंश राजनीति को लेकर जुबानी हमला था. इस संदर्भ में बीएस येदियुरप्पा के बेटे को टिकट से इनकार करना एक अच्छा विचार है.

अपनी रैलियों में मोदी ने राहुल गांधी पर कई तीखे हमले किए. ये उनके प्रचार अभियान की तीसरी विशेषता रही. अब यह चुनाव मोदी बनाम सिद्धारमैया बनता जा रहा है. इसी राह चलकर बीजेपी को 2014 के लोकसभा चुनाव में काफी फायदा हुआ था. लेकिन, दिल्ली और बिहार का चुनाव इसमें अपवाद रहा. इन दोनों राज्यों में जनता ने स्थानीय नेतृत्व को चुना.

अपनी तीन रैलियों में पीएम मोदी जितनी तेजी से राहुल गांधी पर जुबानी हमले कर रही थी. उतनी तेजी से कांग्रेस पार्टी का रिएक्शन भी आ रहा था. इसी कड़ी में कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया ने पीएम मोदी के दौरे को लेकर मंगलवार को व्यंग्यात्मक ट्वीट किया था.

रैली में पीएम मोदी ने कांग्रेस, राहुल गांधी और कर्नाटक सीएम पर जो-जो वार किए, सिद्धारमैया ने ट्विटर पर तुरंत प्रतिक्रिया दी. इस काम में कांग्रेस की सोशल मीडिया सेल भी लगी हुई है.
Share To:

Post A Comment:

0 comments so far,add yours