नई दिल्ली । सीसीटीवी घोटाले के आरोप को लेकर कांग्रेस और मुखर हो गई है। बुधवार को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री एके वालिया, हारुन युसूफ और अरविंदर सिंह लवली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए सार्वजनिक सेक्टर की कंपनी के साथ जिस प्राइवेट कंपनी का करार है, उसका नाम 24 घंटे के अंदर उजागर किया जाए। ऐसा नहीं करने पर कांग्रेस उस कंपनी का नाम सार्वजनिक करेगी, जिसे आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार सार्वजनिक सेक्टर की कंपनी के द्वारा फायदा पहुंचाना चाह रही थी।
सीबीआइ करे जांच
अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि सीसीटीवी कैमरा टेंडर में जीएफआर (जनरल फाइनेंसियल रूल्स) का उल्लंघन किया गया है। जीएफआर सरकार से ऊपर है। सीसीटीवी घोटाले की जांच सीबीआइ से कराएं। यदि दिल्ली सरकार को सीबीआइ से क्लीन चिट मिलती है तो कांग्रेस माफी मांगेगी। यदि दिल्ली सरकार दोषी पाई जाती है तो उसे जनता से माफी मांगनी होगी और मुख्यमंत्री को त्याग पत्र देना होगा।
'आप' को कांग्रेस ने घेरा
लवली ने कहा कि स्कूलों में सीसीटीवी लगाने का 200 करोड़ का मामला शिक्षा विभाग के पास लंबित है। दिल्ली सरकार में एक नोडल एजेंसी है, जिसे आइटी विभाग कहा जाता है। सीसीटीवी लगाने के लिए इसकी प्रस्तावना और परीक्षण जरूरी है। उन्होंने कहा कि 400 करोड़ के कैमरे एक बार में खरीदना या 200-200 करोड़ के कैमरे दो बार में खरीदना, इनमें से क्या फायदेमंद है, यह तो स्पष्ट ही है।
ड्रामा क्यों किया गया
एके वालिया ने कहा कि 'आप' सरकार धरातल पर कोई भी कार्य नहीं करती है। सीसीटीवी कैमरे लगाने के वक्त एहतियात बरतना जरूरी है, क्योंकि ये कैमरे पूरी दिल्ली में लगाऐ जाएंगे। हारुन युसूफ ने कहा कि सीसीटीवी कैमरे में यह बड़ी कमी है कि कैबिनेट की मंजूरी से पहले एएमसी (एनुअल मेंटेनेंस कांट्रैक्ट) फाइनल किया गया। प्राइवेट बिडर को फायदा पहुंचाने के लिए यह ड्रामा क्यों किया गया। अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार को 24 घंटे में यह उजागर करना चाहिए कि वे किस प्राइवेट कंपनी को फायदा पहुंचाना चाहते थे।
गौरतलब है कि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन ने सात मई को कहा था कि दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगाने के प्रोजेक्ट में बहुत बड़ा घोटाला किया गया है।
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