नई दिल्ली I प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन दौरे के बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों पर जमी बर्फ को पिघलाने की कोशिशें हो रही हैं. पिछले कुछ समय से कूटनीति और बॉर्डर पर दोनों देश आमने-सामने रहे, लेकिन अब हालात को बदला जा रहा है. इसी कड़ी में बॉर्डर पर शांति स्थापित करने के लिए भारत ने LAC पर तैनात अपने सैनिकों से कहा है कि वह आक्रामक रुख ना अपनाएं.
डोकलाम में चले 72 दिन के विवाद के बाद दोनों देशों के रिश्तों में जो तल्खी बढ़ी थी, उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वुहान पहुंच शी जिनपिंग के साथ मुलाकात में कम करने की कोशिश की. शायद इसी का असर है कि बॉर्डर पर शांति बरतने की कोशिशें भी तेज हो गई है.
डोवाल से मिला निर्देश!
सूत्रों के मुताबिक, बुधवार सुबह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल ने सेना प्रमुख बिपिन रावत से मुलाकात की. और इस मैसेज के बारे में अवगत कराया. जिसके बाद 3,488 KM लंबी LAC पर भारतीय जवानों से शांति बरतने को कहा गया है. बताया जा रहा है कि इसी बैठक में कहा गया है कि नई स्थापित कार्यविधि को फॉलो किया जाए.
गौरतलब है कि बॉर्डर पर भारत और चीन के बीच विवाद काफी पुराना है. बीच-बीच में कई बार भारत और चीन के सैनिकों के बीच संघर्ष की खबरें आती रही हैं. चीनी सेना PLA कई बार भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश करता रहा है, जिसका भारतीय जवानों ने कड़ा विरोध जताया है. 2013 में भारत-चीन के बीच एक समझौता हुआ था, जिसके तहत बॉर्डर पर दोनों देशों के बीच शांति बरतने की बात कही गई थी.
सूत्रों की मानें तो संदेश साफ है कि LAC पर पेट्रोलिंग कम आक्रमकता के साथ भी की जा सकती है. आक्रमकता के कारण कई बार उकसावे की स्थिति पैदा हो जाती है, यही कारण है कि आक्रमकता को कम करने को कहा गया है.
पिछले साल डोकलाम के अलावा लद्दाख, उत्तराखंड सीमा और अरुणाचल प्रदेश में चीनी और भारतीय जवानों के बीच संघर्ष से दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ता चला गया था.
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के दौरे पर गए थे, जिसमें बिना एजेंडा के शी जिनपिंग के साथ बात हुई थी. इस मुलाकात के बाद ही चीन ने व्यापारिक कामकाज के लिए नाथुला मार्ग को खोल दिया, जिसे डोकलाम विवाद के बाद से ही बंद कर दिया गया था.
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