सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली के ज़्यादातर इलाकों में भूजल (ग्राउंडवॉटर) के ज्यादा इस्तेमाल पर गंभीर चिंता जताई. कोर्ट ने अधिकारियों से इस संकट को रोकने के लिए कहा है.

जस्टिस मदन बी लोकूर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने मई 2000 से मई 2017 के दौरान दिल्ली में भूजल स्तर की स्थिति पर केन्द्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट को देखने के बाद ये बातें कही. कोर्ट ने कहा कि ये बहुत ही दुखद तस्वीर का संकेत दे रही है और स्थित गंभीर है.

सुप्रीम कोर्ट बेंच ने इस रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि 2013 के भूजल संसाधन के अनुमान के आधार पर हर साल 0.5 मीटर से लेकर दो मीटर से अधिक की दर से जल स्तर कम हो रहा है.

बेंच ने कहा कि यह काफी स्पष्ट है कि दक्षिण जिले, नई दिल्ली जिले, दक्षिण पूर्वी जिले, पूर्वी जिले, शाहदरा और उत्तर पूर्वी जिले में ग्राउंडवॉटर का ज़्यादा इस्तेमाल हुआ है. 


पीठ ने कहा कि पश्चिमी जिले और मध्य जिले के कुछ हिस्से ही लगता है कि अभी सुरक्षित हैं. हम दिल्ली के शासन से सरोकार रखने वाले अथॉरिटी से सिर्फ ये अनुरोध कर सकते हैं कि वे जल संकट टालने के लिए इस रिपोर्ट पर गौर करें.

शीर्ष अदालत ने जल संसाधन मंत्रालय के सचिव, दिल्ली सरकार और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति से कहा कि वे इस स्थिति के संभावित समाधान के बारे में उसे अवगत कराएं. कोर्ट ने इसके साथ ही इस मामले को 11 जुलाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया.

केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट के अवलोकन के बाद न्यायालय ने कहा कि इसका अधिक गहराई से अध्ययन करने की जरूरत है, क्योंकि ये काफी चिंताजनक तस्वीर पेश कर रही है. कोर्ट ने इस तथ्य पर भी चिंता व्यक्त की कि जिस क्षेत्र में प्रेसीडेन्ट्स इस्टेट स्थित है, वहां भी भूजल स्तर गिरा है.
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