नई दिल्ली I डॉलर के मुकाबले रुपये में जारी गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है. मंगलवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 15 महीने के सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ. मंगलवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 67.13 रुपये के स्तर पर रहा. इसके लिए कच्चे तेल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी को जिम्मेदार माना जा रहा है.
बता दें कि पिछले कुछ दिनों से कच्चे तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी जारी है. फिलहाल कच्चा तेल 75 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया है. इससे न सिर्फ पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान पर पहुंच गई हैं, बल्कि रुपया भी कमजोर हुआ है.
एक करंसी डीलर ने बताया कि तेल आयात करने वाली कंपनियां बड़े स्तर पर डॉलर में डील कर रही हैं. इसका सीधा दबाव रुपये पर देखने को मिल रहा है. मंगलवार को रुपये में 0.39 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. कारोबार बंद होने तक रुपया 26 पैसे गिरकर 67.13 के स्तर पर बंद हुआ है.
8 फरवरी, 2017 के बाद रुपये के लिए यह सबसे ज्यादा गिरावट है. 15 महीने पहले रुपया डॉलर के मुकाबले 67.19 के स्तर पर बंद हुआ था. इस साल भारतीय मुद्रा का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है. जनवरी से लेकर अब तक इसमें 5.10 फीसदी की कमी दर्ज की गई है.
कच्चे तेल की कीमतों में एकदम तेजी आने से विदेशी मुद्रा बाजार में निवेशकों का सेंटीमेंट कमजोर हुआ है. एक फॉरेक्स डीलर ने बताया कि भारत कच्चे तेल के सबसे बड़े आयातकों में से एक है. ऐसे में कच्चे तेल में बढ़ोतरी का सीधा असर आयात बिल पर पड़ना तय है.
बता दें कि ब्रेंट क्रूड के दाम 2014 के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गए हैं. मौजूदा समय में ब्रेंट क्रूड 75 डॉलर का आंकड़ा पार कर चुका है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों पर फिलहाल लगाम लगने के आसार नहीं दिख रहे हैं. अब डब्लूटीआई क्रूड की कीमत भी 70 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई है. 2014 के बाद यह पहली बार है, जब डब्लूटीआई क्रूड ऑयल की कीमतें इस स्तर पर पहुंची हैं.
रॉयटर्स के मुताबिक डब्लूटीआई की कीमतों में आई इस बढ़ोतरी के लिए वेनेजुएला का आर्थिक संकट जिम्मेदार है. यहां दिन-प्रतिदिन आर्थिक संकट गहराता जा रहा है. इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ईरान पर फिर प्रतिबंध लगाने की आशंका को भी दामों में बढ़ोतरी के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है.
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